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Dear Paarijaat

In the vast landscape of podcasts, where voices echo diverse tales, emerges a gem that not only transcends language barriers but also delves into the rich tapestry of society, culture, books, poetry, arts, and philosophy. “Dear Paarijaat,” a recently launched podcast show, hosted by the visionary Mayank Gangwar, has quickly become a beacon in the podcasting realm, captivating audiences with its unique blend of content.

Show Overview:
-Show Name: Dear Paarijaat
- Host Name: Mayank Gangwar
- Promotion & Marketing By: Genius Words
- Genres: Society & Culture, Books, Entrepreneurship, Poetry, and Philosophy
- Launched on: 1 January 2024
- Episode Release: Weekly
- Most Episode Types: Mini Podcast (5 Minute) & Interviews (30 Minute)
- Language: Hindi & English
- Available on: 19+ International Platforms including Spotify, Apple Podcasts, Google Podcasts, Youtube Music, and many more.
- Listen Now: Click here

"Dear Paarijaat" podcast has garnered an exceptional 10/10 IMDb rating, highlighting its paramount importance, unwavering authenticity, and unmatched credibility.

A Multifaceted Journey:
“Dear Paarijaat” stands out as a multi-genre podcast in a bilingual format, offering content that transcends linguistic boundaries. Launched in January 2024, the show has witnessed remarkable popularity, steadily growing its audience with each passing episode. The seamless blend of Hindi and English adds a unique flavor, making it accessible to a diverse audience.

Content Offerings:
The podcast currently focuses on poetry narrations across various series:
1. Letter Series (Hindi)
2. Letter Series (English)
3. Yatra Series (Hindi)
4. Speaking Stars Series (Guest Interviews - English)
5. Kavi, Kavita Aur Woh (Hind)

The show promises an upcoming lineup of interview podcasts and special episodes, adding depth and variety to its content.

Opportunities for Participation:
“Dear Paarijaat” invites creators with quality-based content to reach out to Mayank Gangwar via email or social media for a chance to be featured on the podcast. The show is also open to volunteers willing to co-host, providing them a chance to connect with our celebrity guests.

Sponsorship and Guest Interviews:
In a gesture of openness, “Dear Paarijaat” extends an invitation for sponsorships and guest interviews on the show. This not only provides a platform for creators and thinkers to showcase their work but also enriches the podcasting experience for the audience.

How to Connect:
For those interested in contributing, collaborating, or sponsoring, reach out to Mayank Gangwar through email or social media.

Contact mail: contactgeniuswords@gmail.com

Reach out to Mayank Gangwar: Click here

“Dear Paarijaat” is more than just a podcast; it is a cultural confluence, a space where ideas and expressions find a harmonious intersection. With Mayank Gangwar at the helm, backed by the promotional prowess of Genius Words, this podcast promises to be a continuous source of inspiration and intellectual engagement for its ever-growing audience. Tune in, explore, and become a part of the vibrant journey that is “Dear Paarijaat.”

Listen Now: Click here

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Last Episode Date: 9 July 2024

Total Episodes: 28

Collaboration
Podcast Interviews
Affiliate and Join Ventures
Sponsorships
Promo Swaps
Feed swaps
Guest/Interview swaps
Monetization
Advertising and Sponsors
Affiliate and JVs
Paid Interviews
Products, Services or Events
Memberships
Donations
Tum Sun Toh Rahi Ho Na | Adhure khaton ka kaarvan | Incomplete Letters - 4
9 July 2024
Tum Sun Toh Rahi Ho Na | Adhure khaton ka kaarvan | Incomplete Letters - 4

मेरी पारिजात,जीवन का अर्थ है जाना और फिर न आना - जो बताता है की वापस सिर्फ स्मृतियाँ आती हैं शख्स नहीं। पर जाना हो तो बताकर जाना हो कमसकम हम उन अंतिम क्षणों को तो जी सकें - मिल सकें एक आखिरी बार और लगा सकें गले बेपरवाह हो दुनिया की पावनदियों से। विरह में बिताने के लिए यादों का होना जरूरी है - खूबसूरत पलों को सोचकर कब रोया गया है भला। सो जरूरी है, की हर किसी को नसीब हो वो अंतिम मुलाकात परस्पर बिना किसी शर्त के। एक - दूसरे की आँखों से बहते आंसुओं की मौजूदगी आवश्यक है उसके बाद बिताए गए पलों के लिए। वो बचाती है इंसान को उस टीस से जो उसको खुदकों कोसने पे मजबूर करती हो। आसूं गवाही देते हैं कि जाना आसान नहीं था वावजूद अपवादों के। किसी को जाने देने से ज्यादा मुश्किल है किसी को रोक न पाना। और भुला पाना तो अत्यंत दुखदायी और असंभव- मैंने जब भी किसी को भूलने की कोशिश की तो उसकी स्मृतियाँ हर बार अपने हिस्से की कमाई लेने वापस आईं। अंततः यह मान लिया गया कि किसी को भुलाने का कहना महज उससे करा गया एक छलावा है जो ऊपरी तौर पर करा जाता है। हम सभी के अंदर मौजूद है हर वो शख्स जिसको भूलने का प्रयास हम हमेशा से करते आए हैं। तुम कहती थी न की छोड़ो न, अब भूल भी जाओ। भला अब कैसे बताऊँ मैं की वो आँखें जिन्हे देख मैं खोता जाता था - वो हाथ जिन्हे थामे मैं बस घंटों यूंही बैठा रहता था - वो सब भूल जाना मुमकिन तो नहीं। वो चेहरा जिसे देख मेरा हर दिन गुजरता था, वो होंठ जिनपे एक रोज मैंने अपने होंठ रखे थे, वो दिन जब कई सालों के बाद तुमने अपनी बाहें खोल मुझे उन्मे समा लेने दिया था - वो सब भूल जाना मुमकिन तो नहीं। वो माथा जिसे मैंने चूमा था जब और तुम किसी बच्चे की तरह मुस्कुराई थीं, और याद है वो पल जब हाथ पकड़े हमने घुमा था पूरा शहर या वो रात जब मेरे कंधे पे रख सर तुम सोई थीं और मैं बस तुम्हें निहारे जा रहा था। वो पल जब अचानक से तुमने कह दिया की तुम्हें प्रेम है मुझसे और मैंने तो जैसे मानने से ही इनकार कर दिया हो मेरा जवाब पता होते हुए भी। यह सब आखिर स्मृतियाँ ही तो हैं, देखो न कितनी खूबसूरत है - बिताए गए लम्हे जीये जारहे लम्हों से हमेशा ही खूबसूरत रहे हैं। आदमी हमेशा अतीत में जिया है। जितना सुंदर अतीत था उतना ही अपवाद वर्तमान में है। उन आँखों को अब देख पाना मेरी लकीरों में नहीं है। हमारे होंठों के बीच एक बहुत बड़ी दीवार है जो रोकती है हमे एक दूसरे के दुखों को चूमने से।  वो बाहें जिन्हे खोल तुमने मुझे बुलाया था वो अब बंद हो चुकी हैं। वो शख्स जिसे छू लेना भर सुकून था वो मेरी पहुँच से बहुत दूर जा चुका है - इतना दूर जहां से वापस सिर्फ स्मृतियाँ आती हैं शख्स नहीं।इन सब से भी ज्यादा उदास है यह ख्याल भर की एक रोज वो आँखें किसी और को देखेंगी, कोई और चूमेगा उन होंठों को, कोई और अपने हाथों में तुम्हारे हाथ ले घूमेगा पूरी कायनात, कोई और छूएगा तुम्हें और कसकर पकड़ेगा अपनी बाहों में, कोई और तुम्हें पास ला रोकेगा कभी न जाने देने के लिए। उसमे और मुझमें कोई ज्यादा अंतर तो नहीं पाओगी तुम - बस इतना की उसको वो सब मिलेगा जिसके स्वप्न मुझे आज भी आते हैं किसी दुखभरी कहानी के तौर पर। वो जिएगा उन सभी क्षणों को जिनकी बस यादें है मेरे पास। तुम्हारे जाने से कितना कुछ छूट गया है - कितना कुछ है जो मुझे छोड़ना पड़ा है - अब चाहूँ भी तो भरी महफ़िल में तुम्हें आवाज दे अपने पास नहीं बुला सकता, तुम्हारा हाथ थाम तुम्हें छू नहीं सकता, तुम्हारी बिखरी हुई जुल्फों को किनारे नहीं कर सकता, तुम्हें बुला तुम्हारे साथ बैठ बातें नहीं कर सकता, तुम्हें अपना नहीं कह सकता, पर एक चीज है जो अब भी कर सकता हूँ और वो है अथाह प्रेम अनंत काल के लिए। तुम्हारे जाने से सिर्फ एक रिश्ता है जो खत्म हुया है प्रेम नहीं। प्रेम तो यात्राओं को पार कर वहीं बैठा मिलेगा तुम्हें; जब तुम सब जीकर वापस लौटोगी। वैसे तो पता है मुझे और तुमने भी कहा है की तुम नहीं आओगी - पर प्रेम तो किसी अबोध बालक की तरह मासूम होता है जो जिद किए बैठा है की तभी जाएगा जब तुम आओगी। पर तुम उसके झांसे में मत आना, बाद तुम्हारे आने के भी यह नहीं जाएगा।मैं प्रेम में हारा हुया यात्री हूँ जो कविताओं में अपना गुजारा करता है। मुझे उम्मीद है की हकीकत में न सही पर एक रोज कविताओं में तुम जरूर उतरोगी और लगाओगी कसकर गले - आखिर थक भी गया हूँ मैं बहुत, काफी देर चला हूँ बहुत बोझ लेकर। इस बोझ को किनारे रख हम बैठेंगे किसी सरोवर के पास, तुम्हारा सर फिर मेरे कंधे पे होगा, हाथ हाथों में, और मैं तुम्हारे बाल संवार बस खामोश बैठा हूँगा। तुमसे जितनी बातें करनी थी वो सब तो मैंने अपनी कविताओं में ही कर ली हैं, वो खत जो तुम तक कभी न पहुंचे उन्ही में लिख रखा है मैंने अपना पता मुझतक पहुँचने का। मैं भी काफी वक्त से ढूंढ रहा हूँ, अगर तुम आओ तो मुझे भी ढूंढ लेना एक बार - मैं खो गया हूँ कहीं जाने किस रोज उठूँगा पार इस दुनिया के और बस रह जाऊंगा वीरानी में। यूं तो तुम तक पहुँच पाना ज्यादा आसान है वजाय मुझको ढूंढ लिए जाने के, पर मैं अपने किए वादों की बेड़ीयों में जकड़ा हुआ है जिसे अब सिर्फ तुम खोल सकती हो - पर मैं आजाद नहीं होना चाहता बस चाहता हूँ की तुम आओ पास मेरे और समीप बैठ सको। मैं देख सकूँ तुम्हें तुम्हारी आँखों में, और जी सकूँ हर एक पल को जैसे की बस वो ही एक आखिरी हो।कुछ पूछना है तुमसे, जब पुकारता हूँ तुमको क्या वो चीख इतनी दूर तुम तलक पहुच पाती है या मुझे देना होगा और जोर? क्या तुम सुन पाती हो मेरी करुण वेदनाओं को , क्या तुम तक पहुचती है मेरे शरीर पर हुए घावों की खबर? नहीं, यह किसी चोट से नहीं हुए, न ही किसी बीमारे से, यह हुए हैं वक्त की रगड़ से, जो चीरकर निकला है मेरे अंतर्मन को। इस जख्म को स्मृतियाँ रोज कुरेदती हैं, इसमे दुख और पीड़ा का मवाद हर रोज निकलता है, चरागरों ने कई बार कोशिश करी इसे सांत्वना से भरने की, पर इसपर तो सिर्फ प्रेम का मरहम लगाया जा सकता है - सो लाजिम है की जख्म अब भी खुला हुआ है और बढ़ता जा रहा है। नहीं, मैं यह नहीं कहता की तुम इसे सुन मुझ तक आ पहुँचो, यकीनन तुम्हारे लिए भी उतना ही मुश्किल होगा जाना जितना की मेरे लिए था तुम्हें न रोक पाना। वैसे इसका कोई उपाय भी नहीं है, मैं बिना यह सोचे लिखे जा रहा हूँ कवितायें, गीत, नज़्में, ग़ज़ले और भी बहुत कुछ जो भी मुझसे लिखा जा रहा है। उन सभी में बस पुकार है तुम्हें बुला लाने की, तुम्हारे आ जाने का इंतेजार सदियों से कैद है मेरी कलम में। पर अब लगता है की शब्द सिर्फ महफिलों में दिल बहला सकते हैं, वाह बटोर सकते हैं, पर किसी जाए हुए को वापस नहीं ला सकते। पर तुम्हारा आना भी उतना ही जरूरी है जितना की मेरा लिख तुम्हें पुकारना। देखो, प्रेम में किसी को ऐसे इंतेजार नहीं कराया जाता, या तो आओ और तोड़ दो मेरे हाथों से चलती कलम  और जला जाओ यहाँ रखें सभी कागज-किताब या फिर आओ और रह जाओ पास यहीं। जो प्रेम कहानियाँ अधूरी रह जाती हैं - वो सदियों तक याद रखी जाती हैं। पर मुझे बेहद डर लगता है मुझको याद रखे जाने से, मैं नहीं बनना चाहता कोई दुखदाई कहानी का हिस्सा जिसे सुन लोगों को अपने खोए हुए लोगों की याद आए। रोक लो ऐसा होने से, शायद कोई नई कहानी लिखी जाने से बच जाए।यूं तो शुरुआत "मेरी पारिजात" से हुई थी, पर किस हद तक तुम्हें "मेरा" कहना सही है, यह कहना मुश्किल है। जहां एक ओर तुम्हें अपना कहने में दिल को मिलता सुकून है की जहां में आज भी कोई जगह ऐसी है जहां तुम सिर्फ मेरे हो, वहीं दूसरी ओर एक पीड़ादायक एहसास भी कि अब सिर्फ स्मृतियाँ बची हैं और हकीकत उससे कोसों दूर कहीं सिसक रही है। लिखने को तो मुझे कोई प्रेमी या कवि लिखा जाना चाहिए, पर मैं चाहूँगा सिर्फ एक ही सम्बोधन: सदा तुम्हारा मयंक_______________________________________________________________________________क्या आप अपनी कविता या कथा हमारे पॉडकास्ट में प्रमुख रूप से प्रस्तुत करना चाहते है?निश्चिंत रहें, इस सेवा के लिए कोई शुल्क नहीं है।अपने अनुरोध इस ईमेल पर जमा करें: contactgeniuswords@gmail.comया फिर इंस्टाग्राम पर: क्लिक करें-------------------------------------------------------------------------Reach out to Mayank Gangwar: click hereTo know more about Mayank Gangwar: click here

6 min
What is the secret of getting a Job Security? | Ft. David Alemian | Unfiltered Wisdom
7 July 2024
What is the secret of getting a Job Security? | Ft. David Alemian | Unfiltered Wisdom

Welcome to today's episode of our podcast, where we dive into the art of recruitment and retention with David Alemian, the foremost expert in the field. David is renowned for helping employers navigate the competitive labor market to attract and retain top talent. With an innovative and disruptive approach, he addresses the nation's massive talent shortage, playing a crucial role in sustaining America's booming economy.In this episode, we explore David's extensive experience, from hosting the "It’s About Money" Radio Show in San Diego to his prolific writing and video production career. With over 200 published articles and 350 educational videos in esteemed publications like M.D. Magazine and Physician’s Practice, David brings a wealth of knowledge to our discussion. David shares insights from his book, "Talent Retention: How to Attract and Retain Highly Skilled Professionals," and discusses his mission to revolutionize recruitment and retention strategies. He also highlights his efforts to enhance retirement savings, ensuring financial security for Americans as they live longer and healthier lives.Known for his exceptional problem-solving skills and unique talent in mathematics and spatial recognition, David's innovative solutions have earned him recognition and a copyright from the U.S. Copyright Office. Join us as we uncover the secrets to building world-class companies and ensuring long-term financial security with David Alemian._______________________________________________________________________________If you believe you could be an excellent guest for the show, you can reach out to us with your short bio. Contact Mayank Gangwar: click hereListen Dear Paarijaat Podcast on 20+ stores: click hereReach out to David here:Website: click hereLinkedIn: click hereInstagram: click hereDon't forget to give us a follow, and a star rating as well! Share it in your social circle. _______________________________________________________________________________Read "Never What We Wanna Say" book now: click here

32 min
Season 2 Trailer | Unfiltered Wisdom | Hosted by Mayank Gangwar
7 July 2024
Season 2 Trailer | Unfiltered Wisdom | Hosted by Mayank Gangwar

Welcome to Season 2 of the Dear Paarijaat Podcast! After a phenomenal first season, we're back with "Unfiltered Wisdom," featuring celebrity guests and subject matter experts from around the world. Join us as we embark on a new journey of inspiring conversations and insightful interviews. Hosted by Mayank Gangwar, Founder & CEO of Genius Words, this season promises to bring you closer to the minds shaping our world today. Tune in and stay excited for what's to come!_______________________________________________________________________________Reach out to Mayank Gangwar: click hereTo know more about Mayank Gangwar: click hereListen to Dear Paarijaat on 20+ platforms: click hereDon't forget to give us a follow, and a star rating as well! Share it with your loved ones.

0 min
बारिशों का शहर | कवि, कविता और वो | यात्रा सीरीज - 5
5 July 2024
बारिशों का शहर | कवि, कविता और वो | यात्रा सीरीज - 5

जब आप किसी शहर में रोज़-दो रोज़ के लिए रुकते हैं- तो आप उस शहर से किसी पहले प्रेम में पड़े स्कूली बच्चे की तरह प्यार करते हैं। आप हड़बड़ी में शहर के खूबसूरत हिस्से घूम कर उसे समझ लेना चाहते हैं। कलेजा एक नए रोमांस से गर्म हो उठता है। आप बेवकूफों से खिलखिलाते हैं। दुनिया की सबसे नर्म हथेलियां नए शहर की होती हैं, जिसे पकड़ आप देर रात तक वही रुक जाने के झूठे वादे उस शहर से कर आते हैं। हमारी खुद की टूटी जिंदगी में उम्मीद बनकर आता है नया शहर, वो जहां हर चीज़ खूबसूरत है। जहां जीवन नीरस नहीं हुआ। जहां कितना कुछ बचा हुआ है ढूंढे जाने को। उसके तारीफों के पुल बांध कर हम उस शहर से गुज़र जाते हैं। पर दो दिन के यात्रियों के उस पुल के नीचे बहती रहती है रोज़मर्रा की जिंदगी का सच। वहाँ रहने वाला व्यक्ति भी अपने शहर से प्यार करता है। पर उस प्रेम में एक  ठहराव होता है।उसे पता है कि जीवन के सत्य ने शहर की हथेलियों को नरम नहीं छोड़ा। पर ठंड में शहर के खुरदुरे और चोट लगे हाथों को चूमता है, और उसे खूबसूरत कर देता है।वो अपने जीवन में इतना व्यस्त होता है कि यात्री की तरह कोई वादा नहीं कर पाता- पर शहर को पता है कि वो उसे छोड़ नहीं जाएगा। वो निवासी है, यात्री नहीं।। एक यात्री के प्रेयस की निगाहों में बैठ जाती है उसके पैरों की थकान। नज़रें जो यात्री के साथ दूर तलक गईं, और उसे अकेला न होने दिया। ऐसी आंखों में थकान लाज़मी है। यात्री दुनिया के किसी भी कोने जा सकता है पर अपनी प्रेयस की आँखों से दूर नहीं जा सकता। दुनिया की ऐसी कोई सड़क नहीं है जिसने किसी न किसी की राह नहीं देखी हो। इसलिए हर रस्ता पैरों को बढ़ने के जगह भले न दे पर वो आँखों के प्रति दयालु रहता है। कभी सड़क निगाह हो जाती है, कभी निगाहों से सड़क गुज़रती है। मेरी आँखों ने हर क्षितिज देखा है क्योंकि वो व्यक्ति मुझसे निरंतर दूर जाता जा रहा है। मेरी निगाहों ने सब देखा है, एक घर छोड़ दुनिया का हर कोना देखा है।धरती की गोलाई पर अपने प्रेयस का पीछा करती आंखें गोल हो जाती हैं। फिर एक रोज़ इनमें बस जाती है एक अलग दुनिया, जहाँ प्रेयस अकेला यात्री होता है। फिर एक रोज़ यात्री समझ नहीं पाता कि जिस दुनिया में वो घूम रहा है वो धरती है कि उसके प्रेयस की आंखें। यात्राएँ कहीं भी शुरू हो सकती हैं, पर उन्हें खत्म आँखों में ही होना चाहिए, वरना इस दुनिया का कुछ मतलब नहीं रह जायेगा। मैंने करवाया है अपने चश्मे का नम्बर ठीक, तुम्हें देखने को दूर से आखिर।।मैं फिर एक ऐसे शहर आ पहुंचा हूँ जहाँ बारिश नही रुकती। मेरी खिड़की के बाहर एक आसमान है जो थकता ही नहीं। ऐसा लगता है जैसे किसी भी घंटे बाढ़ इस शहर को डुबो देगी पर ऐसा होता दिखता नहीं।यहाँ किसी को मैंने छाता लिए नहीं देखा। बारिश एक होना उनके लिए अपवाद नहीं है, उसका न होना उन्हें शायद आश्चर्यचकित कर दे। मुझे लगता है कि इस शहर के लोगों में काफी नमी है, जैसे सारी बारिश उनमें ही खत्म हो जाती है। इस शहर के किसी एक व्यक्ति ने जब तपाक से मुझे गले लगाया तो एक बंद कमरे में भी मैंने खुद को भीगा पाया। जब वो व्यक्ति बोला तो जैसे बारिशों सी आवाज़ आयी।मेरे कानों में उनकी भाषा बारिश के तरह लगती है। इस शहर की भाषा में एक-एक शब्द बूंदों की तरह टप-टप करता धीरे धीरे जेहन में उतरता जाता है।यहाँ आसमान में नहीं लोगों में भी बारिश बस चुकी है। पर मुझे बारिशों की आदत कहाँ? मेरे शहर में तो बारिश मौसमी है। खैर इस शहर में मैंने बहुत ढूंढ कर एक छाता खरीद लिया है। उस दुकान में बस एक ही छाता था, जैसे बरसों से मेरे लिए ही रखा हो। शहर के लोग मुझे अब पागल समझते हैं। फिर एक रोज़ अचानक किसी ने मुझसे जबरदस्ती वो छाता मुझसे छीन लिया। मैं बहुत देर तक पहली बार उस शहर में भीगता रहा, पर फिर मैं एक कौतूहल का विषय बन गया। बारिश में भी मेरे हृदय को वो हिस्सा शुष्क रह गया, जिस हिस्से में प्रेम होना था। जहाँ तुम्हें होना था। मेरे बदन पर अब एक जंगल उग आया है, एक चीर का पेड़ हर उस दिन के लिए जिस दिन हम नहीं मिले। और शरीर के बीच एक हृदय का बंजर रेगिस्तान जहाँ बारिश मुझे नहीं छू पाती, उस पुष्प के लिए खाली है, जो उगेगा उस रोज़ जब हम इस दुनिया के छोटे हो जाने पर वापिस कहीं टकरा जाएंगे।मैंने मृत्यु के बारे में इतना सोचा है कि वो अब सहज लगने लगी है। मैं इन प्रार्थनाओं के साथ सो रहा हूँ कि दुबारा उठना न पड़े। बात तो ये थी कि मैं एक कमरे में सालों तक बंद रहना चाहता हूँ। मुझे जरा भी मालूम नहीं था कि मानव जीवन में इतनी बदहवासी भरी हुई है।अपने उम्र के कई साल इस कमरे में रहने का कोई न कोई बहाना था मेरे पास मसलन स्कूल, कॉलेज, नौकरी आदि।बंद कमरे में इतनी शांति है कि मैं कुछ बोल कर भी इसे तोड़ नहीं पाता। मैं जोर-जोर से एक कविता पढ़ता हूँ और कमरा फिर भी शांत रह जाता है। अकेले की खमोशी कोई नहीं तोड़ सकता शायद। हाँ! मुझे हर बार इतना जरूर एहसास जरूर होता है कि मेरा होना कोई काफी जरूरी चीज नहीं है। मेरा बंद कमरा बार-बार समाज खुलवाता है। मुझे एक काम देता है और मेरा मरना फिर टल जाता है। मैं सोचता हूँ कि उस रोज़ क्या होगा जब मैं कमरा खोलूँगा और इस सभ्यता के पास मुझे कोई काम देने को बचेगा नहीं। मेरी आखिरी जिम्मेदारी निभा लेने के बाद क्या मैं ये कमरा बंद कर लेने को स्वतंत्र हो जाऊँगा? क्या समाज बिना किसी काम के भी कभी मेरा दरवाजा खटखटाने आएगा?मुझे दुहाई दी जाती है तमाम दुखों की जो जमाने ने एकत्र करके रखी हैं। और ये दुनिया कहती है कि इन दुखों के लिए एक आँसू तो दो। मैं कैसे समझा पाऊँगा कि दुनिया की आपदाओं से भी पहले, मेरे आँसू खर्च हो चुके थे बस तुम्हारे लिए। कवि जो दिवालिया हो चुका है भावनात्मक रूप से। एक सम्भवनाओं से भरी नदी जो बहने से भी पहले अपना पानी खो चुकी है। 1 फरवरी 2024, मैं एक पहाड़ी होटल के बंद कमरे में हूँ, और बाहर बर्फ गिर रही है। रस्ता कुछ दिन के लिए बंद हो गया है। बिजली चली गयी है, शहर में हर कुछ महँगा हो गया है। एक कमरा है जिस तक अब कोई नहीं आता। एक दरवाजा जिसपर खटखटाने के कोई निशान नहीं हैं। कोई हिसाब नहीं लेने आयेगा अब। मैंने एक सपना देखा कि हर कोई अपने अपने कमरे में बंद रहा जाएगा। हम में से कोई किसी का कमरा खटखटाएगा नहीं, और मानव सभ्यता अपने-अपने कमरे में घुट खत्म हो जायेगी।_______________________________________________________________________________क्या आप अपनी कविता या कथा हमारे पॉडकास्ट में प्रमुख रूप से प्रस्तुत करना चाहते है?निश्चिंत रहें, इस सेवा के लिए कोई शुल्क नहीं है।अपने अनुरोध इस ईमेल पर जमा करें: contactgeniuswords@gmail.comया फिर इंस्टाग्राम पर: क्लिक करें-------------------------------------------------------------------------Content Credits:Voice: Mayank GangwarWritten By: Kitabganj-------------------------------------------------------------------------Reach out to Mayank Gangwar: click hereTo know more about Mayank Gangwar: click hereReach out to Kitabganj on Facebook: click here Reach out to Kitabganj on Instagram: click here 

6 min
What's the Hidden Meaning Behind "A Cup of Tea on the Commode"? Find Out Here! Ft. Mark Steven Porro
21 June 2024
What's the Hidden Meaning Behind "A Cup of Tea on the Commode"? Find Out Here! Ft. Mark Steven Porro

In this heartwarming episode, we sit down with Mark Steven Porro, who shares his deeply personal journey of caring for his elderly mother and the life lessons learned along the way. Through touching anecdotes and valuable insights, Mark highlights the significance of compassion, humor, and empathy in caregiving.Key Topics Discussed:- Unique Book Title: Mark explains the origin of his book title "A Cup of Tea on the Commode," inspired by a daily ritual with his mother during her care.- Values from Upbringing: Insights into the nurturing and compassionate environment provided by his parents, emphasizing the importance of caring for others.- Influence of Humor: The role of humor in Mark's life and writing, and how it helped him and his mother cope with challenging times.- Industrial Design Background: How Mark's education in industrial design contributed to his empathetic and practical approach to caregiving.- Empathy in Caregiving: The importance of understanding and adapting to the needs of elderly loved ones through patience and tailored care routines.Join us for a touching conversation that delves into the essence of love, care, and the little moments that make a big difference._______________________________________________________________________________Author BiographyMark Steven Porro, a New Jersey native (Exit 163), earned an Industrial Design degree from The Ohio State University. After years of agency work, his love of acting led him to Hollywood, where he appeared in dozens of television, film, and stage productions. Mark also spent his twenty-eight years in Tinseltown, entrepreneuring. He started five non-profit companies. But hold the applause, none were intended to be. He now lives in the South of France. But hold your pity. He of sound mind and body chose to suffer in the heart of wine country where the locals insist his French isn’t so bad—at least that’s what he thinks they’re saying. Mark is an award-winning designer, writer, and director. He has written lots of jokes, several screenplays, and one award-winning short film. A Cup of Tea on the Commode is his first book. Reach out to Mark at Facebook: click hereMark's Website: click hereBuy "Tea on the Commode" on Amazon: click here_______________________________________________________________________________If you believe you could be an excellent guest for the show, you can reach out to us with your short bio. Contact Mayank Gangwar: click hereListen Dear Paarijaat Podcast on 20+ stores: click hereDon't forget to give us a follow, and a star rating as well! Share it in your social circle. _______________________________________________________________________________Read "Never What We Wanna Say" book now: click here

36 min
Are You Making These Mistakes in Marketing? Learn How to Fix Them! Ft. Devan Bhalla |
18 June 2024
Are You Making These Mistakes in Marketing? Learn How to Fix Them! Ft. Devan Bhalla |

In our latest episode of the Dear Paarijaat Podcast, we had the privilege of hosting Devan Bhalla, a marketing expert and LinkedIn top voice. Here are the key topics and lessons discussed:Competitive Benchmarking:- Understand objectives for marketing activities.- Analyze direct, indirect, and unrelated competitors.  Marketing Strategy Insights:- Adapt competitors' strategies effectively.- Customize strategies for different markets.Automation and Data Integration:- Leverage marketing technology for efficiency.- Implement automation tools for streamlined processes.Key Lessons:- Strategic competitor analysis is crucial.- Adaptability and tech integration drive success.- Personalization and continuous learning are key._______________________________________________________________________________Devan is an integrated marketer who is passionate about growth, strategy and paying attention to detail. With a diverse experience across media, e-commerce and ed-tech, he has a core interest and expertise in brand management, social media marketing, P&L management and product development. He believes that a true marketer is one who is able to market himself and thus believes in experimentation which has led him to have a keen interest in consumer psychology, SEO, community management and neuroscience across the B2B and the B2C space. He has worked in numerous product launches and scaled them to success be it a popular school space event in partnership with Fortune India and Amity University, to building business in African and Asian economies to instrumenting the design space and the digital assets of billion dollar firms.His project portfolio includes Research & Strategy, Brand Marketing for Enterprise and Consumer verticals, leading Digital and Print campaigns from SEM, SEO, Product Pricing and Product Marketing perspective to the design and packaging of products. His Core Specialties include: • Building new products across the tech, retail, media, and e-commerce space• Competitive benchmarking analysis for establishing go-to-market strategies across hyper-local, regional, vernacular, developing, and mature markets• Consumer Insights and Research for persona mapping • P&L ownership (Business Planning & Budget Management) • Strategizing and executing innovative brand marketing across digital and print • Building new products with due-diligence• Strategic Collaborations with a focus on Community Management • 360˚ Market Planning with ATL, BTL, PR and Advertising campaigns including brand campaigns• Analytical solutions with a deep-dive to bring in a holistic solution to business problems • Design oriented mindset to implement product packaging, UX and app developmentA bit about his new found love of Public Speaking. He has been a TEDx speaker at NIT Rourkela and has been a key note speaker at CII and institutions like BITS Pilani, SRCC, Hansraj College, Goa Institute of Management, VIT, SIBM, PUMBA, NIPER, etc. His other interests include Air Pistol Shooting, Painting and pursuing a healthy lifestyle. You may reach out to him for a consultation related to branding, marketing and analytics. Reach out to Devan Bhalla at: bhalladevan@gmail.com On Instagram : Click hereOn LinkedIn: Click here_______________________________________________________________________________If you believe you could be an excellent guest for the show, you can reach out to us with your short bio. Contact Mayank Gangwar: click hereListen Dear Paarijaat Podcast on 20+ stores: click hereDon't forget to give us a follow, and a star rating as well! Share it in your social circle. _______________________________________________________________________________Read "Never What We Wanna Say" book now: click here

28 min
Why Men Don't Cry? | Definition of Masculinity | Ft. David Brent Dowlen | Speaking Stars Series |
13 May 2024
Why Men Don't Cry? | Definition of Masculinity | Ft. David Brent Dowlen | Speaking Stars Series |

Mental health is a crucial aspect of overall well-being, yet it remains a topic shrouded in stigma and misconceptions. In this report, we delve into the concerning trends in suicide rates and explore gender-based disparities in mental health.Facts About Suicide Rates:1. Globally, one person dies by suicide every 40 seconds, totaling approximately 800,000 deaths annually (World Health Organization, WHO).2. Shockingly, suicide is the second leading cause of death among 15-29-year-olds worldwide (WHO).3. Men are more likely to die by suicide than women, with the suicide rate for men being nearly four times higher than that of women (Centers for Disease Control and Prevention, CDC).Data on Mental Health Disparities Based on Gender:1. Men often face unique challenges in seeking mental health support due to societal expectations and stigmas surrounding vulnerability and emotional expression.2. According to the American Psychological Association (APA), men are less likely to seek help for mental health issues, leading to underdiagnosis and undertreatment.3. Studies indicate that societal pressures related to traditional masculinity norms contribute to higher rates of substance abuse and risky behaviors among men, exacerbating mental health challenges (National Institute of Mental Health, NIMH).Why This Podcast Matters:Understanding the gravity of these statistics is crucial in advocating for better mental health support and breaking down barriers to seeking help. This podcast episode aims to spark conversations, challenge stereotypes, and encourage listeners to prioritize their mental well-being. By shedding light on the realities of suicide rates and gender-based mental health disparities, we hope to foster a more inclusive and supportive environment for all individuals.Conclusion:As we navigate the complexities of mental health, it's imperative to remember that seeking help is a sign of strength, not weakness. Together, we can dismantle stigma, promote mental health awareness, and create a more compassionate society for everyone."To all those men listening this, stay strong! You will win every battle!"_______________________________________________________________________________David Brent Dowlen, also known as Brent, is a Relationship and Personal Development Coach and the Founder of The Fallible Man LLC. With over three years of experience, he specializes in helping men grow, thrive, and succeed in various aspects of life. Brent is also a NASM-CPT and runs Stronger Everyday Training, focusing on strength building and overall well-being. He hosts The Fallible Man Podcast, reaching audiences globally, and manages the empowering Phoenix Men's Conference, dedicated to empowering men from diverse backgrounds. Brent's mission is to empower individuals, particularly men, to achieve their goals with confidence and resilience.Reach David Brent Dowlen on LinkedIN: click hereHis Podcast Website: click here_______________________________________________________________________________If you believe you could be an excellent guest for the show, you can reach out to us with your short bio. Contact Mayank Gangwar: click hereListen Dear Paarijaat Podcast on 19+ stores: click hereDon't forget to give us a follow, and a star rating as well! Share it in your social circle. _______________________________________________________________________________

52 min
Lights, Camera, Expertise | Ft. Jayson Johnson | Speaking Stars Series
5 May 2024
Lights, Camera, Expertise | Ft. Jayson Johnson | Speaking Stars Series

Step into the captivating world of filmmaking with Mayank Gangwar's latest episode on the Dear Paarijaat Podcast, featuring the visionary Jayson Johnson, an award-winning filmmaker and the creative force behind Strike Five Films.In this illuminating discussion, Jayson shares invaluable insights and strategies tailored for beginners venturing into the art of filmmaking. From decoding the intricacies of film marketing to unraveling the essence of a compelling script, every aspect of the filmmaking journey is explored in depth. Discover the critical importance of actor-director compatibility, the transformative stages of filmmaking, and the most crucial elements that breathe life into cinematic masterpieces.With over a decade of experience in narrative and documentary filmmaking, Jayson's expertise shines through as he delves into the nuances of the creative process. His film projects, officially selected in 80+ film festivals and celebrated with awards at 6 of them, stand as a testament to his mastery in the craft.This episode is not just a conversation; it's a masterclass in filmmaking essentials. Whether you're a budding filmmaker, a seasoned professional, or simply passionate about the art of storytelling through film, this episode promises to be a source of inspiration, knowledge, and actionable strategies. Tune in and unlock the secrets to cinematic success with Jayson Johnson on the Dear Paarijaat Podcast._______________________________________________________________________________Jayson Johnson on LinkedIn: Click hereHis website: Click here_______________________________________________________________________________If you believe you could be an excellent guest for the show, you can reach out to us with your short bio. Contact Mayank Gangwar: click hereListen Dear Paarijaat Podcast on 19+ stores: click hereDon't forget to give us a follow, and a star rating as well! Share it in your social circle. _______________________________________________________________________________

20 min
Success Unplugged with Magic Formula | Ft. Scott Klein | Speaking Stars Series
4 May 2024
Success Unplugged with Magic Formula | Ft. Scott Klein | Speaking Stars Series

Step into a world of inspiration and insight with Mayank Gangwar's captivating interview on the Dear Paarijaat Podcast featuring the remarkable Scott Klein. A dynamic force as a Commissioned Officer in the US Army, Director of External Affairs, Podcast Host "Get Down To Business" and a visionary Entrepreneur and Community Leader, Scott shares a treasure trove of wisdom and experience across a spectrum of engaging topics:- Economic Impact & Cultures: Discover how diverse cultures intertwine with economic dynamics, shaping global landscapes and driving innovation.  - Developing Leads & Connections: Unlock the secrets to cultivating meaningful connections and fostering valuable leads, essential pillars for personal and professional growth.  - Philosophy & Success Mantra: Delve into Scott's profound philosophy and personal success mantra, igniting the spark of inspiration within every listener.  - Economic Measures & Time Management: Explore actionable economic measures and masterful time management strategies, keys to navigating the complexities of modern life and business.- Leadership Skills & Discipline: Immerse yourself in the art of leadership as Scott shares invaluable insights on cultivating impactful leadership skills and the transformative power of discipline.This episode is not just a conversation; it's a journey of empowerment, motivation, and actionable wisdom. Tune in to embark on a transformative experience that will energize your spirit and propel you towards your own path of success._______________________________________________________________________________Scott Klein on LinkedIN: click hereScott Klein's Podcast: click here_______________________________________________________________________________If you believe you could be an excellent guest for the show, you can reach out to us with your short bio. Contact Mayank Gangwar: click hereListen Dear Paarijaat Podcast on 19+ stores: click hereDon't forget to give us a follow, and a star rating as well! Share it in your social circle. _______________________________________________________________________________

21 min
तहजीब हाफी की अमर ग़ज़लें और नज़्में | Tehzeeb Hafi: Ghazal | Nazm | Poetry
22 April 2024
तहजीब हाफी की अमर ग़ज़लें और नज़्में | Tehzeeb Hafi: Ghazal | Nazm | Poetry

ज़िंदगी के सफर में, कभी-कभी हमें कुछ पल ऐसे मिलते हैं जो दिल को छू जाते हैं। तहज़ीब हाफ़ी की शायरी में छुपी हर एक लफ़्ज़, हर एक मिस्रा, एक अनोखी कहानी सुनाता है। वो सफ़ेद शर्ट, वो मुस्कुराहट, वो पहली मुलाक़ात, सब कुछ याद दिलाता है एक बीते हुए ज़माने की। जैसे "सफ़ेद शर्ट थी तुम सीढ़ियों पे बैठे थे, और मैं क्लास से निकली मुस्कुराहटे हुए" उस लम्हे में जैसे वक़्त थम गया था, और हर इशारे में तुम्हारा साथ महसूस होता था। और फिर वो चुप रहना, वो गुस्सा भरा लहज़ा, वो आवाज़ें, सब कुछ याद आता है। मोहब्बत में लड़ना, और फिर उस लड़ाई में खो देना, ये भी एक अनोखा एहसास है। हर उस शख़्स का चुप रहना, जो ज़िंदगी में आए और दिल को छू गए, याद आता है।"तू किसी और ही दुनिया में मिली थी मुझ से" जिंदगी में जो कुछ भी मिला, या खो दिया, ये नज़्म हमें याद दिलाता है कि हर रिश्ता, हर एहसास, कुछ ख़ास होता है। हर लफ़्ज़, हर शेर, एक अनमोल कहानी है जो ज़िंदगी को और भी रंगीन बनाती है।आशा है आपको यह पाठ पसंद आएगा। 

12 min
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